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चीफ सियाटल (1786-1866) अमेरिका के मूल निवासियों के नेता थे. वाशिंगटन राज्य में सियाटल शहर का नामकरण उन्हीं के ऊपर किया गया है. अपनी जमीन से अधिकार छोड़ने के मुद्दे पर उन्होंने 11 मार्च, 1854 को सियाटल में अपने लोगों के सामने यह उल्लेखनीय भाषण दिया था:
“भाइयों, वाशिंगटन से राष्ट्रपति ने यह कहलवाया है कि वह हमारी जमीन खरीदना चाहते हैं. लेकिन कोई जमीन को या आकाश को कैसे खरीद सकता है? मुझे यह बात समझ नहीं आती.
जब हवा की ताजगी पर और पानी के जोश पर तुम्हारा मालिकाना नहीं है तो तुम उसे कैसे खरीद और बेच सकते हो? इस धरती का हर एक टुकड़ा मेरे लोगों के लिए पवित्र है. चीड़ की हर चमकती पत्ती, हर रेतीला किनारा, घने जंगलों का कुहासा, हर मैदान, हर भुनभुनाता कीड़ा – ये सभी मेरे लोगों की स्मृति और अनुभवों में रचे-बसे हैं और पवित्र हैं.
इन पेड़ों के तनों में बहने वाले अर्क को हम उतना ही बेहतर जानते हैं जितना हम अपनी शिराओं में बहने वाले रक्त से परिचित हैं. हम इस धरती के अंश हैं और यह भी हमारा एक भाग है. महकते फूल हमारी बहनें हैं. भालू, हिरन, और गरुड़, ये सभी हमारे भाई हैं.
पथरीली चोटियाँ, चारागाहों की चमक, खच्चरों की गरमाहट, और हम सब, एक ही परिवार के सदस्य हैं. इन झरनों और नदियों में बहनेवाला चमकदार पानी सिर्फ पानी ही नहीं है बल्कि हमारे पूर्वजों का लहू है. यदि हम तुम्हें अपनी जमीन बेच दें तो तुम यह कभी नहीं भूलना कि यह हमारे लिए कितनी पावन है. इन झीलों के मंथर जल में झलकने वाली परछाइयां हमारे लोगों की ज़िंदगी के किस्से बयान करतीं हैं. बहते हुए पानी का कलरव मेरे पिता और उनके भी पिता का स्वर है.
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नदियाँ हमारी बहनें हैं. उनके पानी से हम प्यास बुझाते हैं. वे हमारी नौकाओं को दूर तक ले जातीं हैं और हमारे बच्चों को मछलियाँ देतीं हैं. इसके बदले तुम्हें नदियों को उतनी ही इज्ज़त बख्शनी होगी जितनी तुम अपने बहनों का सम्मान करते हो.
यदि हम तुम्हें अपनी जमीन बेच दें तो यह न भूलना कि हमारे लिए इसकी हवा अनमोल है. इस हवा में यहाँ पनपने वाले हर जीव की आत्मा की सुगंध है. हमारे परदादाओं के जीवन की पहली और अंतिम सांस इसी हवा में कहीं घुली हुई है. हमारे बच्चे भी इसी हवा में सांस लेकर बढ़े हैं. इसलिए, अगर हम तुम्हें अपनी जमीन बेच दें तो इसे तुम अपने लिए भी उतना ही पवित्र जानना.
इस हवा में मैदानों में उगनेवाले फूलों की मिठास है. क्या तुम अपने बच्चों को यह नहीं सिखाओगे, जैसा हमने अपने बच्चों को सिखाया है कि यह धरती हम सबकी माता है!? इस धरती पर जो कुछ भी गुज़रता है वह हम सबको साथ में ही भोगना पड़ता है.
हम तो बस इतना ही जानते हैं कि हम इस धरती के मालिक नहीं हैं, यह हमें विरासत में मिली है. सब कुछ एक-दूसरे में उतना ही घुला-मिला है जैसे हमें आपस में जोड़ने वाला रक्त. यह जीव-जगत हमारा बनाया नहीं है, हम तो इस विराट थान के एक छोटे से तंतु हैं. यदि इस थान का बिगाड़ होगा तो हम भी नहीं बचेंगे.
और हम यह भी जानते हैं कि हमारा ईश्वर तुम्हारा भी ईश्वर है. यह धरती ईश्वर को परमप्रिय है और इसका तिरस्कार उसके क्रोध को भड़कायेगा.
तुम जिसे नियति कहते हो वह हमारी समझ से परे है. तब क्या होगा जब सारे चौपाये जिबह किये जा चुके होंगे? और जब साधने के लिए कोई जंगली घोड़े नहीं बचेंगे? और तब क्या होगा जब जंगलों के रहस्यमयी कोनों में असंख्य आदमियों की गंध फ़ैल जायेगी और उपजाऊ टीले तुम्हारे बोलनेवाले तारों से बिंध जायेंगे? तब झुरमुट कहाँ बचेंगे? गरुड़ कहाँ बसेंगे? सब ख़त्म हो जाएगा. चपल टट्टुओं पर बैठकर शिकार पर निकल चलने का क्या होगा? यह वह वक़्त होगा जब जीवन ख़त्म होने के कगार पर होगा और ज़िंदगी कायम रखने की जद्दोजहद शुरू हो जायेगी.
इस वीराने से आख़िरी लाल निवासियों के चले जाने के बाद जब प्रेयरी से गुज़रनेवाले बादलों की परछाईं ही उन्हें याद करेगी. क्या तब भी यह सागरतट और अरण्य बचे रहेंगे? क्या यहाँ से हमारे चले जाने के बाद भी हमारी आत्मा यहाँ बसी रहेगीं?
हम इस धरती से उतना ही प्यार करते हैं जितना एक नवजात अपने माता की छाती से करता है. तो, अगर हम तुम्हें अपनी जमीन बेच दें तो इसे उतना ही प्यार करना. हम इसकी बहुत परवाह करते हैं, तुम भी करना. इसे ग्रहण करते समय इस धरती की स्मृति को भी अपना लेना. इसे अपनी संततियों के लिए संरक्षित रखना, जैसे ईश्वर ने हमें हमेशा संभाला है.
जिस तरह हम इस धरती के अंश हैं, तुम भी इसके अंश हो. यह हमारे लिए अनमोल है और तुम्हारे लिए भी.
हम तो बस इतना ही जानते हैं – कि हम सबका एक ही ईश्वर है. न तो कोई लाल आदमी है और न ही कोई गोरा, कोई भी किसी से अलग नहीं है. हम सब भाई हैं.”
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really this speech has a great convincing power ...now i can understand why people have faith in seotal...
जवाब देंहटाएंTHANK YOU FOR THE EXTRA ORDINARY STORY
जवाब देंहटाएंउक्त पंक्तियाँ साबित करती है वही इस धरा पर अमर हुए हैं जिन ने अपनी धरा,वनस्पति,नदी, आदि प्राकृतिक पक्ष को नैसर्गिक रूप से आगे रखा है
जवाब देंहटाएंHamare icse course me ye hai as chapter in english this will help me to perform better in my test
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