osho stories in hindi,osho hindi in hindi,osho ki kahaniyan,[ Osho Hindi Stories ] निन्यानबे का फेर! | ओशो कथा-सागर
एक सम्राट का एक नौकर था, नाई था उसका। वह उसकी मालिश करता, हजामत बनाता। सम्राट बड़ा हैरान होता था कि वह हमेशा प्रसन्न, बड़ा आनंदित, बड़ा मस्त! उसको एक रुपया रोज मिलता था। बस, एक रुपया रोज में वह खूब खाता-पीता, मित्रों को भी खिलाता-पिलाता। सस्ते जमाने की बात होगी। रात जब सोता तो उसके पास एक पैसा न होता; वह निश्चिन्त सोता। सुबह एक रुपया फिर उसे मिल जाता मालिश करके। वह बड़ा खुश था! इतना खुश था कि सम्राट को उससे ईर्ष्या होने लगी। सम्राट भी इतना खुश नहीं था। खुशी कहां! उदासी और चिंताओं के बोझ और पहाड़ उसके सिर पर थे। उसने पूछा नाई से कि तेरी प्रसन्नता का राज क्या है? उसने कहा, मैं तो कुछ जानता नहीं, मैं कोई बड़ा बुद्धिमान नहीं। लेकिन, जैसे आप मुझे प्रसन्न देख कर चकित होते हो, मैं आपको देख कर चकित होता हूं कि आपके दुखी होने का कारण क्या है? मेरे पास तो कुछ भी नहीं है और मैं सुखी हूँ; आपके पास सब है, और आप सुखी नहीं! आप मुझे ज्यादा हैरानी में डाल देते हैं। मैं तो प्रसन्न हूँ, क्योंकि प्रसन्न होना स्वाभाविक है, और होने को है ही क्या?
वजीर से पूछा सम्राट ने एक दिन कि इसका राज खोजना पड़ेगा। यह नाई इतना प्रसन्न है कि मेरे मन में ईर्ष्या की आग जलती है कि इससे तो बेहतर नाई ही होते। यह सम्राट हो कर क्यों फंस गए? न रात नींद आती, न दिन चैन है; और रोज चिंताएं बढ़ती ही चली जाती हैं। घटता तो दूर, एक समस्या हल करो, दस खड़ी हो जाती हैं। तो नाई ही हो जाते। वजीर ने कहा, आप घबड़ाएं मत। मैं उस नाई को दुरुस्त किए देता हूँ। वजीर तो गणित में कुशल था। सम्राट ने कहा, क्या करोगे? उसने कहा, कुछ नहीं। आप एक-दो-चार दिन में देखेंगे। वह एक निन्यानबे रुपये एक थैली में रख कर रात नाई के घर में फेंक आया। जब सुबह नाई उठा, तो उसने निन्यानबे गिने, बस वह चिंतित हो गया। उसने कहा, बस एक रुपया आज मिल जाए, तो आज उपवास ही रखेंगे, सौ पूरे कर लेंगे! बस, उपद्रव शुरू हो गया। कभी उसने इकट्ठा करने का सोचा न था, इकट्ठा करने की सुविधा भी न थी। एक रुपया मिलता था, वह पर्याप्त था जरूरतों के लिए। कल की उसने कभी चिंता ही न की थी। ‘कल’ उसके मन में कभी छाया ही न डालता था; वह आज में ही जीया था। आज पहली दफा ‘कल’ उठा। निन्यानबे पास में थे, सौ करने में देर ही क्या थी! सिर्फ एक दिन तकलीफ उठानी थी कि सौ हो जाएंगे। उसने दूसरे दिन उपवास कर दिया। लेकिन, जब दूसरे दिन वह आया सम्राट के पैर दबाने, तो वह मस्ती न थी, उदास था, चिंता में पड़ा था, कोई गणित चल रहा था। सम्राट ने पूछा, आज बड़े चिंतित मालूम होते हो? मामला क्या है? उसने कहा: नहीं हजूर, कुछ भी नहीं, कुछ नहीं सब ठीक है। मगर आज बात में वह सुगंध न थी जो सदा होती थी। ‘सब ठीक है’--ऐसे कह रहा था जैसे सभी कहते हैं, सब ठीक है। जब पहले कहता था तो सब ठीक था ही। आज औपचारिक कह रहा था। सम्राट ने कहा, नहीं मैं न मानूंगा। तुम उदास दिखते हो, तुम्हारी आंख में रौनक नहीं। तुम रात सोए ठीक से? उसने कहा, अब आप पूछते हैं तो आपसे झूठ कैसे बोलूं! रात नहीं सो पाया। लेकिन सब ठीक हो जाएगा, एक दिन की बात है। आप घबड़ाएं मत। लेकिन वह चिंता उसकी रोज बढ़ती गई। सौ पूरे हो गए, तो वह सोचने लगा कि अब सौ तो हो ही गए; अब धीरे-धीरे इकट्ठा कर लें, तो कभी दो सौ हो जाएंगे। अब एक-एक कदम उठने लगा। वह पंद्रह दिन में बिलकुल ही ढीला-ढाला हो गया, उसकी सब खुशी चली गई। सम्राट ने कहा, अब तू बता ही दे सच-सच, मामला क्या है? मेरे वजीर ने कुछ किया? तब वह चैंका। नाई बोला, क्या मतलब? आपका वजीर...? अच्छा, तो अब मैं समझा। अचानक मेरे घर में एक थैली पड़ी मिली मुझे--निन्यानबे रुपए। बस, उसी दिन से मैं मुश्किल में पड़ गया हूं। निन्यानबे का फेर! -ओशो |
अष्टावक्र: महागीता भाग-2
प्रवचन 14 से संकलित
Other incredible Stories From Osho In Hindi
Following are the links of some of the best and most read Osho stories in Hindi:
- मौत पीछा नहीं छोड़ती । ओशो कथा सागर
- जीवन को विधायक आरोहण दो, निषेधात्मक पलायन नही-ओशो
- भविष्य और अतीत कल्पित समय हैं-ओशो कथा सागर
- रॉल्फ वाल्डो इमर्सन से जुड़े प्रसंग | ओशो कथा सागर
- बोधिधर्म से जुड़े प्रसंग | ओशो कथा सागर
- सैकड़ों चलते हैं लेकिन मुश्किल से एक पहुंचता है-वह भी दुर्लभ है | ओशो कथा सागर
- शांति की खोज | Hindi Osho Story About Search Of Peace
P.S. अगर आप भी अपनी रचनाएँ(In Hindi), कहानियाँ (Hindi Stories), प्रेरक लेख(Self -Development articles in Hindi ) या कवितायेँ लाखों लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं तो हमसे nisheeth@hindisahityadarpan[ dot]in पर संपर्क करें !!
true story .............................
जवाब देंहटाएंOne must learn from this story....
जवाब देंहटाएंah khani shosan bywashtha ka hisa hai .jisme kaha gya hai ki tum sebak rho raja banane ke lia nhi socho. aur khush rahane ka tamga phnaya gya hai jo sach nhi hai.
जवाब देंहटाएंKisi Bhi kahani ke kayi messages hote hain..Ye person to person depend karta hai ki wo kahani ke kya matalab nikalata hai...Is kahani ka ye bhi matalab hota hai ki santosh param sukh hai..lalal burai ki jad hai...
जवाब देंहटाएं100 % विशुद्ध सत्य..!
जवाब देंहटाएंव्यक्ति का मानस व विचार बहुत कुछ पारस्परिक महौल, प्रारंभिक शिक्षा, संस्कार तथा स्व-विवेक पर निर्भर करते हैं। बादलों से ढका सूर्य वस्तुतः अपने स्थान पर एक समान चमक के साथ प्रकाशमान है, लेकिन लगता ऐसे है जैसे मानो बादलों ने उसे आभारहित बना दिया हो। सत्य हर स्थिति में एक ही है। फर्क तो दृष्टिकोण से उत्पन्न होता है।
उल्लेखित कहानी द्वारा बडे ही भावपूर्ण और संक्षिप्त शब्दों में जीवन के परं संतोषरूपी आनंद व विभिन्न प्राप्य ध्येयों में से एक की प्राप्ति में आने वाले लोभ सम झंझावतों के प्रभाव को स्पष्ट किया गया है।
ध्यातव्य रहे कि प्रगति लोभ से नहीं अपितु परमार्थ से ही होती है व परोपकार का चित्रण किसी न किसी रूप में करती है। एक व्यक्ति यदि अपने आप को जग में प्रतिष्ठित देखना चाहता है तो उसके पीछे भी यही भावना प्रबल रहती है कि उसके माता-पिता का नाम ऊँचा हो अथवा पुत्र-पुत्रियों को सुख-सुविधा मिले। अथवा स्वयं का ही नाम हो, वह भी जन संघ द्वारा मान्यता मिलने पर ही अर्थात् पर+उपकार से ही तो संभव है।
kahani ke madhyam se bataya gaya hai ki lalach hi sabhi dukho ka karan hai eski jitni purti ki jaye utna hi jayda badta hai
जवाब देंहटाएंthis story is real life make a truely life biggening
जवाब देंहटाएंnice mgr anek bar pdi hui
जवाब देंहटाएंBahut hi sandar
जवाब देंहटाएं