हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे,Famous Hindi Idioms, Phrases And Proverbs,hindi kahavaten,hindi muhavare
विभिन्न देशों की कहावतें तथा लोकोक्तियाँ - Sayings and Proverbs Of Different Countries
गुड़ खाय गुलगुले से परहेज : कोई बड़ी बुराई करना और छोटी से बचना।
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गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है : अपराधियों के साथ निरपराध व्यक्ति भी दण्ड पाते हैं।
गैर का सिर कद्दू बराबर : दूसरे की विपत्ति को कोई नहीं समझता।
गों निकली, आँख बदली : स्वार्थ सिद्ध हो जाने पर लोगों की आँख बदल जाती हैं, कृतघ्न मनुष्यों के विषय में ऐसा कहा जाता है।
बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा : पास में रहने पर भी किसी वस्तु या व्यक्ति का दूर-दूर ढूँढ़ा जाना।
गौरी रूठेगी अपना सोहाग लेगी, भाग तो न लेगी : जब कोई आदमी किसी नौकर को छुड़ा देने की धमकी देता है तब नौकर अपनी स्वाधीनता प्रकट करने के लिए ऐसा कहता है।
ग्वालिन अपने दही को खट्टा नहीं कहती : कोई भी व्यक्ति अपनी चीज को बुरी नहीं कहता।
घड़ीभर की बेशरमी और दिनभर का आराम : संकोच करने की अपेक्षा साफ-साफ कहना अच्छा होता है।
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घड़ी में तोला घड़ी में माशा : जो जरा-सी बात पर खुश और जरा-सी बात पर नाराज हो जाय ऐसे अस्थिर चित्त व्यक्ति के कहा जाता है।
घर आई लक्ष्मी को लात नहीं मारते : मिलते हुए धन या वृत्ति का त्याग नहीं करना चाहिए।
घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते : अपने घर आने पर कोई बुरे आदमी को भी नहीं दुतकारता।
घर आए नाग न पूजिए, बामी पूजन जाय : किसी निकटस्थ तपस्वी सन्त की पूजा न करके किसी साधारण साधु का आदर-सत्कार करना।
घर कर सत्तर बला सिर कर : ब्याह करने और घर बनबाने में बहुत-से झंझटों का सामना करना पड़ता है।
घर का भेदी लंका ढाये : आपसी फूट से सर्वनाश हो जाता है।
घर की मुर्गी दाल बराबर : घर की वस्तु या व्यक्ति का उचित आदर नहीं होता।
घर घर मटियारे चूल्हे : सब लोगों में कुछ न कुछ बुराइयाँ होती हैं, सब लोगों को कुछ न कुछ कष्ट होता है।
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चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे : पहले कुछ रुपया पैसा खर्च करोगे या पहले कुछ खिलाओगे तभी काम हो सकेगा।
चट मँगनी पट ब्याह : शीघ्रतापूर्वक मंगनी और ब्याह कर देना, जल्दी से अपना काम पूरा कर देने पर उक्ति।
चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय : बहुत अधिक कंजूसी करने पर उचित।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात : थोड़े दिनों के लिए सुख तथा आमोद-प्रमोद और फिर दु:ख।
चाह है तो राह भी : जब किसी काम के करने की इच्छा होती है तो उसकी युक्ति भी निकल आती है।
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता : बेशर्म आदमी पर किसी बात का असर नहीं होता।
चिकने मुँह सब चूमते हैं : सभी लोग बड़े और धनी आदमियों की हाँ में हाँ मिलाते हैं।
चित भी मेरी, पट भी मेरी : हर तरह से अपना लाभ चाहने पर उक्ति।
चिराग तले अँधेरा : जहाँ पर विशेष विचार, न्याय या योग्यता आदि की आशा हो वहाँ पर यदि कुविचार, अन्याय या अयोग्यता पाई जाए।
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बेवकूफ मर गए औलाद छोड़ गए : जब कोई बहुत मूर्खता का काम करता है तब उसके लिए ऐसा कहते हैं।
चूल्हे में जाय : नष्ट हो जाय। उपेक्षा और तिरस्कारसूचक शाप जिसका प्रयोग स्त्रियाँ करती हैं।
चोर उचक्का चौधरी, कुटनी भई प्रधान : जब नीच और दुष्ट मनुष्यों के हाथ में अधिकार होता है।
चोर की दाढ़ी में तिनका : यदि किसी मनुष्य में कोई बुराई हो और कोई उसके सामने उस बुराई की निंदा करे, तो वह यह समझेगा कि मेरी ही बुराई कर रहा है, वास्तविक अपराधी जरा-जरा-सी बात पर अपने ऊपर संदेह करके दूसरों से उसका प्रतिवाद करता है।
चोर-चोर मौसेरे भाई : एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्द मेल-जोल हो जाता है।
चोरी और सीनाजोरी : अपराध करना और जबरदस्ती दिखाना, अपराधी का अपने को निरपराध सिद्ध करना और अपराध को दूसरे के सिर मढ़ना।
चौबे गए छब्बे होने दुबे रह गए : यदि लाभ के लिए कोई काम किया जाय परन्तु उल्टे उसमें हानि हो।
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गुड़ खाय गुलगुले से परहेज : कोई बड़ी बुराई करना और छोटी से बचना।
गुड़
न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे : किसी को चाहे
कुछ न दे, पर उससे मीठी बात तो करे।
गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी : यदि पास में धन होगा तो साथी या खाने वाले भी पास आएँगे।
गुरु गुड़ ही रहा चेला शक्कर हो गया : जब शिष्य गुरु से बढ़ जाता है तब ऐसा कहते हैं।
गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी : गुरु से कपट नहीं करना चाहिए और मित्र से चोरी नहीं करना चाहिए, जो मनुष्य ऐसा करता है उसकी बड़ी दुर्गति होती है।
गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी : यदि पास में धन होगा तो साथी या खाने वाले भी पास आएँगे।
गुरु गुड़ ही रहा चेला शक्कर हो गया : जब शिष्य गुरु से बढ़ जाता है तब ऐसा कहते हैं।
गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी : गुरु से कपट नहीं करना चाहिए और मित्र से चोरी नहीं करना चाहिए, जो मनुष्य ऐसा करता है उसकी बड़ी दुर्गति होती है।
इसे भी पढ़ें : हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे - भाग 7 | Famous Hindi Idioms, Phrases And Proverbs-Part 7
गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है : अपराधियों के साथ निरपराध व्यक्ति भी दण्ड पाते हैं।
गैर का सिर कद्दू बराबर : दूसरे की विपत्ति को कोई नहीं समझता।
गों निकली, आँख बदली : स्वार्थ सिद्ध हो जाने पर लोगों की आँख बदल जाती हैं, कृतघ्न मनुष्यों के विषय में ऐसा कहा जाता है।
बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा : पास में रहने पर भी किसी वस्तु या व्यक्ति का दूर-दूर ढूँढ़ा जाना।
गौरी रूठेगी अपना सोहाग लेगी, भाग तो न लेगी : जब कोई आदमी किसी नौकर को छुड़ा देने की धमकी देता है तब नौकर अपनी स्वाधीनता प्रकट करने के लिए ऐसा कहता है।
ग्वालिन अपने दही को खट्टा नहीं कहती : कोई भी व्यक्ति अपनी चीज को बुरी नहीं कहता।
घड़ीभर की बेशरमी और दिनभर का आराम : संकोच करने की अपेक्षा साफ-साफ कहना अच्छा होता है।
घड़ी में तोला घड़ी में माशा : जो जरा-सी बात पर खुश और जरा-सी बात पर नाराज हो जाय ऐसे अस्थिर चित्त व्यक्ति के कहा जाता है।
घर आई लक्ष्मी को लात नहीं मारते : मिलते हुए धन या वृत्ति का त्याग नहीं करना चाहिए।
घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते : अपने घर आने पर कोई बुरे आदमी को भी नहीं दुतकारता।
घर आए नाग न पूजिए, बामी पूजन जाय : किसी निकटस्थ तपस्वी सन्त की पूजा न करके किसी साधारण साधु का आदर-सत्कार करना।
घर कर सत्तर बला सिर कर : ब्याह करने और घर बनबाने में बहुत-से झंझटों का सामना करना पड़ता है।
घर का भेदी लंका ढाये : आपसी फूट से सर्वनाश हो जाता है।
घर की मुर्गी दाल बराबर : घर की वस्तु या व्यक्ति का उचित आदर नहीं होता।
घर घर मटियारे चूल्हे : सब लोगों में कुछ न कुछ बुराइयाँ होती हैं, सब लोगों को कुछ न कुछ कष्ट होता है।
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घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने : झूठे दिखावे पर उक्ति।
घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने : झूठे दिखावे पर उक्ति।
घायल की
गति घायल जाने : दुखी व्यक्ति की हालत दुखी ही जानता है।
घी खाया बाप ने सूंघो मेरा हाथ : दूसरों की कीर्ति पर डींग मारने वालों पर उक्ति।
घोड़ा घास से यारी करे तो खाय क्या : मेहनताना या किसी चीज का दाम मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए।
घी खाया बाप ने सूंघो मेरा हाथ : दूसरों की कीर्ति पर डींग मारने वालों पर उक्ति।
घोड़ा घास से यारी करे तो खाय क्या : मेहनताना या किसी चीज का दाम मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए।
चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे : पहले कुछ रुपया पैसा खर्च करोगे या पहले कुछ खिलाओगे तभी काम हो सकेगा।
चट मँगनी पट ब्याह : शीघ्रतापूर्वक मंगनी और ब्याह कर देना, जल्दी से अपना काम पूरा कर देने पर उक्ति।
चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय : बहुत अधिक कंजूसी करने पर उचित।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात : थोड़े दिनों के लिए सुख तथा आमोद-प्रमोद और फिर दु:ख।
चाह है तो राह भी : जब किसी काम के करने की इच्छा होती है तो उसकी युक्ति भी निकल आती है।
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता : बेशर्म आदमी पर किसी बात का असर नहीं होता।
चिकने मुँह सब चूमते हैं : सभी लोग बड़े और धनी आदमियों की हाँ में हाँ मिलाते हैं।
चित भी मेरी, पट भी मेरी : हर तरह से अपना लाभ चाहने पर उक्ति।
चिराग तले अँधेरा : जहाँ पर विशेष विचार, न्याय या योग्यता आदि की आशा हो वहाँ पर यदि कुविचार, अन्याय या अयोग्यता पाई जाए।
बेवकूफ मर गए औलाद छोड़ गए : जब कोई बहुत मूर्खता का काम करता है तब उसके लिए ऐसा कहते हैं।
चूल्हे में जाय : नष्ट हो जाय। उपेक्षा और तिरस्कारसूचक शाप जिसका प्रयोग स्त्रियाँ करती हैं।
चोर उचक्का चौधरी, कुटनी भई प्रधान : जब नीच और दुष्ट मनुष्यों के हाथ में अधिकार होता है।
चोर की दाढ़ी में तिनका : यदि किसी मनुष्य में कोई बुराई हो और कोई उसके सामने उस बुराई की निंदा करे, तो वह यह समझेगा कि मेरी ही बुराई कर रहा है, वास्तविक अपराधी जरा-जरा-सी बात पर अपने ऊपर संदेह करके दूसरों से उसका प्रतिवाद करता है।
चोर-चोर मौसेरे भाई : एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्द मेल-जोल हो जाता है।
चोरी और सीनाजोरी : अपराध करना और जबरदस्ती दिखाना, अपराधी का अपने को निरपराध सिद्ध करना और अपराध को दूसरे के सिर मढ़ना।
चौबे गए छब्बे होने दुबे रह गए : यदि लाभ के लिए कोई काम किया जाय परन्तु उल्टे उसमें हानि हो।
Hindi Kahavate Kafi Rochak Hain. Aur Arth Se Bhare Hain.
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