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2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के उपलक्ष्य में हम बापू के जीवन से जुड़े ऐसे प्रेरक प्रसंगों को प्रकाशित कर रहे हैं जो ज्ञान का खजाना साबित होंगे, ये छोटे छोटे प्रसंग हमें गहरी सीख देते हैं और गाँधी जी के आदर्शों से हमें परिचित कराते हैं, कोई भी व्यक्ति यदि इन्हें अपना सके तो अपने जीवन को एक नयी दिशा पा सकता है।
प्रेरक प्रसंग 1 ~ गाँधी जी क्यूँ कहलाते थे महात्मा
महात्मा गांधी जी छुआछूत के खिलाफ थे। एक बार उन्होंने अपने आश्रम में दलित और सवर्ण के विवाह की अनुमति दी। हालांकि उस समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई कर रही कांग्रेस गांधी जी द्वारा दलितों के सामाजिक उत्थान हेतु चलाये गये इन कदमों से सहमति नहीं रखती थी क्योंकि उसका मानना था कि 'सामाजिक सुधार' को 'स्वतंत्रता आन्दोलन' से पृथक रखा जाना चाहिए।
कांग्रेस के इस रवैये के कारण डॉ भीमराव अम्बेडकर अंग्रेजी राज का साथ दे रहे थे और 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय वे वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य होते थे इतना ही नहीं वे गांधी के प्रखर आलोचक भी थे।
अपने इस व्यवहार के पीछे उनका मानना था कि कांग्रेस के ब्राह्मण बाहुल्य ढांचे से दलितों का भला नहीं हो सकता था। 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ तो डॉ. अंबेडकर के इसी प्रकार के विचारों के चलते कांग्रेस के नेतागण विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल उन्हें अपने पहले मंत्रिमंडल में साथ रखने को तैयार न थे।
लेकिन गांधी जी ने हस्तक्षेप करके यह समझाने का प्रयास किया कि कि आजादी कांग्रेस को नहीं मिली है बल्कि देश को मिली है इसलिए पहले मंत्रिमंडल में सबसे अच्छी प्रतिभाओं को शामिल किया जाना चाहिये चाहे वह किसी भी दल अथवा समुदाय की क्यों न हो।
गांधी के इस सकारात्मक हस्तक्षेप के बाद ही डॉ. अम्बेडकर देश के पहले कानून मंत्री बन सके थे। गांधी जी के लिये मन में किसी के लिये बैर अथवा पूर्वाग्रह नहीं था इसीलिये गांधीजी को बड़े दिल वाला भी कहा जाता है।
प्रेरक प्रसंग 2 ~ एक अंग्रेज का गांधी को पत्र
एक अंग्रेज ने महात्मा गांधी को पत्र लिखा। उसमें गालियों के अतिरिक्त कुछ था नहीं।
गांधीजी ने पत्र पढ़ा और उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया। उसमें जो आलपिन लगा हुआ था उसे निकालकर सुरक्षित रख लिया।
वह अंग्रेंज गांधीजी से प्रत्यक्ष मिलने के लिए आया। आते ही उसने पूछा- महात्मा जी! आपने मेरा पत्र पढ़ा या नहीं?
महात्मा जी बोले- बड़े ध्यान से पढ़ा है।
उसने फिर पूछा- क्या सार निकाला आपने?
महात्मा जी ने कहा- एक आलपिन निकाला है। बस, उस पत्र में इतना ही सार था। जो सार था, उसे ले लिया। जो असार था, उसे फेंक दिया।
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प्रेरक प्रसंग 3 ~ समय की कीमत
दांडी यात्रा के समय बापू एक स्थान पर शंभर के लिए रुके | जब वह चलने को हुए तो उनका एक अंग्रेज प्रशंसक उनसे मिलने आया और बोला, ‘हेल्लो मेरा नाम वाकर है |’ चूँकि बापू उस समय जल्दी में थे, इसलिए चलते हुए ही विनयपूर्वक बोले, में भी तो वाकर हूँ | इतना कहकर वह जल्दी-जल्दी चलने लगे |
तभी एक सज्जन ने पुछा, ‘बापू यदि आप उससे मिल लेते तो आपकी प्रसिध्दि होती और अंग्रजी समाचार-पत्रों में आपका नाम सम्मानपूर्वक छपता | बापू बोले मेरे लिए सम्मान से अधिक समय कीमती है |
प्रेरक प्रसंग 4 ~ कर्म बोओ, आदत काटो
गांधीजी एक छोटे से गांव में पहुंचे तो उनके दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी | गांधीजी ने लोगों से पुछा, इन दिनों आप कौन सा अन्न बो रहे हैं और किस अन्न की कटाई कर रहे हैं ?’
भीड़ में से एक वृध्द व्यक्ति आगे आया और करबद्ध हो बोला, ‘आप तो बड़े ज्ञानी हैं | क्या आप इतना भी नहीं जानते की ज्येष्ठ (जेठ) मॉस में खेंतो में कोई फसल नहीं होती | इन दिनों हम खली रहतें हैं |
गांधीजी ने पुछा, जब फसल बोने व काटने का समय होता है, तब क्या बिलकुल भी समय नहीं होता ?’
वृध्द बोला, ‘उस समय तो रोटी खाने का भी समय नहीं होता |
गांधीजी बोले, ‘तो इस समय तुम बिलकुल निठल्ले हो और सिर्फ गप्पें हाँक रहे हो | यदि तुम चाहो तो इस समय भी कुछ बो और काट सकते हो |’
गाँव वाले बोले, ‘कृपा करके आप ही बता दीजिये की हमें क्या बोना और क्या काटना चाहिए ?’
गांधीजी गंभीरतापूर्वक बोले,
आप लोग कर्म बोइए और आदत को काटिए,महात्मा गाँधी से जुड़े अन्य प्रेरक प्रसंग भी पढ़ें(Best Stories From The Life Of Mahatma Gandhi) :
आदत को बोइए और चरित्र को काटिए |
चरित्र को बोइए और भाग्य को काटिए |
तभी तुम्हारा जीवन सार्थक हो पायेगा |
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thanks for sharing it…
जवाब देंहटाएंYe ambedkar wali bat kha se li gyi he tell me
हटाएंAmbedakar wali bat kha se li hui he tell me
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