Hindi essay on election, essay in hindi on election, election essay in hindi, Chunav par lekh, up chunao lekh, lekh on up election.
चुनाव का इतिहास बहुत प्राचीन है रामायण काल से आज तक चुनाव होते आये ये बात अलग है कि पहले चुनाव करके राज घरानों में से ही किसी एक व्यक्ति को राजपाट के लिए उत्तराधिकारी नियुक्त कर लिया जाता जिसमें जनता की कोई भूमिका नहीं होती थी किन्तु जैसे ही समय तब्दील हुआ अंग्रेजी हकूमत में सर्व सम्मति से ही सरकार की अगुवाई करने वाले किसी एक व्यक्ति को शासन का मुखिया घोषित कर दिया जाता था लेकिन देश के आजाद होते ही सन 1950 में हमारे देश में गणतंत्र की स्थापना होते ही शासकों के चयन की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से जनता के हाथों में आई तब प्रत्येक पांच वर्ष उपरांत समय-समय पर लोक सभा व विधानसभा के चुनाव प्रयोजित होते रहते हंै लोकतंत्र स्थापित समय से वर्तमान तक चुनाव प्रक्रिया में काफी तीव्र गति से सुधार भी हुआ हैं जिसमें जनता द्वारा चयनित प्रत्याशियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से सरकारों का चुनाव होता है जो देश के हित में अहम फैसला लेने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। चुनाव को यदि हम परिभाषित करे चुनाव वह प्रक्रिया है जिसमें जनता पूर्ण विश्वास से एक ऐसे प्रत्याशी का चयन करती हैं जो विकास रूपी पवित्र गंगा के जल को प्रवाहित कर सके। देश की अगुवाई करने वाली सरकार देश की जनता के निर्वाचन पर निर्भर करती हैं। अभी देश के पांच राज्यों में चुनाव होने वाले है जिस के मद्दे नजर राजनैतिक पार्टियों ने अपने प्रचार के लिए व प्रशासन ने मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए कमर कस ली है। देश में न जाने कितनी राजनैतिक पार्टी या अनेक नेता लोग मौजूद है कुछ नेता अपना वोट बैंक में इजाफा करने के लिए किसी भी सीमा को लांघने में नहीं घबराते क्योंकि वे जनता के भोलेपन से भली-भांति परिचित हंै। किंतु वर्तमान में तो कुछ ओर ही देखने को मिलता है कुछ लोग नेता बनते ही इसलिए है कि जनता के विश्वास को छल से बल या फिर कुबुद्धी से हासिल किया जा सके। हालांकि राजनीति में अब भाई भतीजावाद ने अपनी जड़े इतनी मजबूत कर ली है कि राजनैतिक स्तर इतना मलीन हो चुका है कि स्वर्ग धरा से जब बापू गांधी जी व नेता जी आज के इन हिंद धरा के नेताओं को निहारते होंगे वे भी अपनी खादी व नेता कहलवाने पर अपने आप को लज्जित महसूस करते होंगे।
आये दिन किसी न किसी नेता की कोई न कोई करतूत सामने आ ही जाती है। उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान के मतदाता थोड़े सशंकित रहता है कि अपना मतदान किस प्रत्याशी को किया जाये। देश के एक जिम्मेदार नागरिक यह सोच रखता है कि कथित नेता को यदि मैं मतदान करू तो कथित नेता आगामी पांच वर्षों में विकास रूपी नाव से क्षेत्रिय बद्दर सुविधा रहित हालातों से पार करा देगा या नहीं किंतु प्राय देखने में आता है कि चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं द्वारा देश की भोली भांति जनता को न जाने कितने प्रलोभन दिये जाते है जैसे रोजगार बिजली का बिल, सडक़ों का विकास, किसानों का कर्जा माफ होगा, सफाई का विशेष ध्यान, स्वास्थ्य अनेक समस्याओं का हवाला देकर वोट बटोर लिये जाते हंै चुनाव के पश्चात जनता को फिर उन्हीं हालातों से गुजरने को मजबूर होना पड़ता है जिसका जीता जागता उदाहरण गत वर्षों में हुये दिल्ली विधान सभा चुनाव दिल्ली सरकार से महसूस कर सकते है। क्योंंकि नेता लोग गिरगिट की मानिंद रंग बदलते है।
चुनाव से पहले कुछ नेता लोग अपना कुर्ता फाड़ कर जनता के वोट बटोरने में पीछे नहीं हटते है। चाहे वह किसी संप्रदायिकता की बात हो या किसी धर्म विशेष पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देनी हो उनका एक मात्र उद्देश्य मात्र अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना व अपने वोट बैंक को मजबूती प्रदान करना होता है या फिर किसी भी धर्म गुरू का सहारा लेना अथवा आध्यात्मिक गुरू का जबकि सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्य संविधान कमेटी के अनुसार कोई भी दल का नेता किसी भी धर्म, जाति या समुदाय को अपने वोट बैंक बढ़ावा देने के लिए प्रयोग नहीं करेगा जो कि गैर कानूनी है। किंतु नेताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता चाहें वह किसी भी दल से संबंध ही क्यों न रखता हो, कुछ संस्था या संगठन देश में ऐसे भी हंै जो अपने राजनैतिक फायदे के लिए किसी भी दल को सफलता दिलाने में अहम भूमिका अदा करते हंै। संस्था या संगठन के प्रमुख नुमाइंदे संस्था के अनुसरण कर्ताओं को कड़े निर्देश जारी करते हैं कि कथित दल के नेता को आपने मतदान करना है। जो कि मतदाता से उसके मौलिक अधिकारों को हनन कराया जाता है। जो मौलिक अधिकार हमारे संविधान ने हमें दिया है उसे मतदाता से कोई छीन नहीं सकता और न ही कोई उस पर कोई दबाव बनाया जा सकता।
यदि हम बात करें प्रेस की चाहे वह इलैक्ट्रोनिक मीडिया हो या फिर समाचार पत्र वो भी मतदाता का मस्तिष्क परिवर्तन करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। क्योंकि वो किसी दल के कथित नेता से मोटी रकम वसूल कर उनके समाचारों को प्रमुखता से प्रसारित या प्रकाशित करते हैं। इसलिए तो देश का एक जागरूक नागरिक मतदान के दौरन उम्मीदवार के लिए नकारात्मक वाले बटन का चयन करता है। यदि चुनाव के विपरीत दिशा में मिलिट्री राज एक बार स्थापित हो जाता है तो समस्त भ्रष्टाचार, कर्मचारियों के कर्म का भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी का प्रचलन, अनुशासन हीनता व अन्य समस्याओं रूपी रावण का दहन एक तीर से हो जायेगा दूसरी तरफ अरबों रुपये के खर्च की बचत होने के साथ साथ बचत का रुपया देश के विकास में लगेगा ओर हमारा देश दुनिया के सर्वोच्च देशों में एक देश होगा।
उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर अन्त में लेखक देश की जनता जनार्दन से अपील करना चाहेंगे की मतदाता अपने मत का प्रयोग उसी व्यक्ति या प्रत्याशी या दल के लिए करें जिस पर आपको भरोसा हो, जो समाज हित, क्षेत्र की जनता की सेवा निष्ठा व ईमानदारी से सदैव तत्पर रहें, दरिद्रों के प्रति सहानुभूति की भावना रखता हो
जागरूक मतदाता को चाहिए कि वह किसी किसी व्यक्ति विशेष के बहकावे में न आये और न अन्य मतदाता को आने दे आप का एक मतदान आप के क्षेत्र को विकसित कर सकता है और राज्य या देश के विकास लक्ष्य की और उन्मुख कर सकता है। मतदाता को चाहिए कि वो अपने मौलिक अधिकार जो भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त है, का पूर्ण रूप से सही उपयोग करें।
लेखक परिचय अंकेश धीमान, पुत्र: श्री जयभगवानबुढ़ाना, मुजफ्फरगनर उत्तर प्रदेशEmail Id-licankdhiman@yahoo.comlicankdhiman@rediffmail.comFacebook A/c-Ankesh Dhiman
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 120वीं जयंती और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने चुनाव आते ही सभी की नजरे सामान्य जनता पर आ जाती हैं.
जवाब देंहटाएंModern Politics के ऊपर बहुत ही बढ़िया article लिखा है आपने। ........Share करने के लिए धन्यवाद। :) :)
जवाब देंहटाएंthansk all (Ankesh dhiman)
हटाएं